दमोह। वर्तमान चुनावी समर में कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं का रुझान अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। इसी का परिणाम है कि वर्तमान में कांग्रेस के पक्ष का माहौल दिखाई दे रहा है। लेकिन आने वाले 12-13 दिनों के बीच मे कांग्रेस पार्टी और उनके प्रत्याशी को यही माहौल बनाए रखने की एक बड़ी चुनौती भी है, क्योंकि अब भाजपा अपने डैमेज कंट्रोल से लगभग उभरती दिखाई देने लगी है। इसलिए अब यह चुनाव और भी दिलचस्प होने वाला है। उधर, भाजपा के प्रादेशिक नेताओं ने भी दमोह में अपना स्थाई डेरा डालना शुरू कर दिया है। जबकि कांग्रेस पार्टी की ओर से फिलहाल अजय टंडन अकेले ही मैदान में जुटे हुए हैं हालांकि कांग्रेस की अनेक छोटी-छोटी टुकड़िया अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के साथ मतदाताओं तक पहुंच रही हैं। लेकिन अधिकांश वरिष्ठ कांग्रेसीजन फिलहाल जनसंपर्क से दूरी बनाए हुए हैं। वहीं दूसरी ओर पिछलेेे दो-तीन दिनों से भाजपाा की गुप्त महत्वपूर्ण बैठके जारी है, जिसमें आने वाले दिनोंं मे सामाजिक और अलग-अलग वर्गोंं की भूमिका तय की गई। रविवार को प्रदेेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने भी जिला भाजपा कार्यालय पहुंचकर वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। जिसमें आगामी दिनों में चुनाव किस प्रकार लड़ा जाएगा, इसकी रणनीति तैयार की गई। दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ की भी गुप्त गतिविधियांं जोर पकड़ने लगी है, जो भाजपा की चुनावी जीत का मूल मंत्र लेकर काम करती है। इससे साफ जाहिर होता हैै कि कांग्रेस ने जो माहौल पहले बनाया हैै, भाजपा उसे तोड़ने का पूरा प्रयाास करेगी और चुनाव के अंतिम दौर में खेल खेलेगी। इसके लिए भाजपाा ने पूरी रणनीति भी तैयार कर ली है। कांग्रेस भी अब इस चुनाव को संजीदगी से लड़ना चाहेगी, क्योंकि नवंबर में हुए प्रदेश के उपचुनावों में भी कांग्रेस ने बिकाऊ टिकाऊ को मुद्दा बनाया था और बड़ामलहरा क्षेत्र घूमकर आने वाले अधिकांश लोग यही कहते दिख रहे थे कि प्रद्युम्न सिंह 15 से 20,000 वोटों से हार रहे हैं, जबकि चुनाव परिणाम कुछ और ही आए हैं। कमोबेश यही स्थिति फिलहाल दमोह में नजर आ रही है।