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दमोह। आगामी 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दमोह में परंपरागत प्रतिद्वंदी अजय टंडन और जयंत मलैया के बीच इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। दोनों ही प्रत्याशियों के लिए विधायक की कुर्सी आसान नजर नहीं आ रही, क्योंकि पिछले 5 साल में भाजपा में उपजे अंतर्द्वंद से पार्टी में काफी मतभेद और मनभेद निर्मित हुए हैं, जो इस चुनाव में जयंत मलैया के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। वहीं दूसरी ओर अजय टंडन भी अपने कार्यकाल में कोई ऐसी उपलब्धि अपने नाम नहीं कर पाए जिसे लेकर वह वोट मांग सके। इसके अलावा कांग्रेस भी अपनी गुटबाजी से उतनी ही परेशान है जितनी भाजपा। देखा जाए तो पिछले उपचुनाव के बाद सिद्धार्थ मलैया की टीएसएम ने पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया और आज टीएसएम की दखल के कारण ही नगर पालिका और जिला पंचायत में कांग्रेस राज कर रही है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पहलाद पटेल और राहुल सिंह से भी मलैया एंड कंपनी के मनभेद होने के कारण भीतरघात की संभावना बढ़ गई है, हालांकि जानकार मानते हैं कि जयंत मलैया की निर्विवाद छवि डैमेज कंट्रोल करने में काफी हद तक कारगर सिद्ध होगी। दूसरी ओर देखा जाए तो अजय टंडन अपने साढे 3 साल के कार्यकाल में दमोह को कोई खास उपलब्धि नहीं दिला पाए, साथ ही दूसरे पक्ष को टिकट न मिलने के कारण कांग्रेस का भी एक बड़ा खेमा उनसे नाराज चल रहा है, जो चुनाव मे उनके लिए मुश्किले खड़ी कर सकता है। इन सब परेशानियों के अलावा दोनों ही नेताओं के लिए दमोह विधानसभा का लोधी वोट बैंक भी काफी मायने रखता है, इसलिए पिछले काफी समय से जयंत मलैया और उनके पुत्र समेत अजय टंडन भी लोधी बाहुल ग्रामीण क्षेत्र में लगातार पहुंचाते रहे हैं।

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