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दमोह। राजनीति में परिवारवाद के बाद अब जातिवाद इस कदर हावी हो गया है कि राजनीतिक पार्टियों भी जाति बाहुल के प्रत्याशी को ही मैदान में उतार कर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है। ऐसे में कम जाति संख्या के नेताओं को नेतृत्व करने का मौका कम ही मिलेगा। यहां हम बात कर रहे हैं जिले की जबेरा विधानसभा सीट की, जहां लोधी समाज बहुतायत मे होने के कारण अन्य जाति समाज के नेताओं को अब नेतृत्व की कमान मिलना मुश्किल ही दिख रहा है। उदाहरण के तौर पर देखें तो जवानी से लेकर बुढ़ापे तक भाजपा की सेवा करने वाले रूपेश सेन को भाजपा ने कभी कोई खास उपलब्धि हाथ नहीं लगने दी।

अब क्षेत्र में जिला भाजपा उपाध्यक्ष और जबेरा जनपद पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि विनोद राय जनता की निस्वार्थ सेवा और संपर्क में निरंतर लगे होने के बाद भी उनकी टिकट की दावेदारी पर जातिवाद हावी दिख रहा है, जबकि अन्य समाजों समेत जातिवाद से परे सोच रखने वाले लोधी समाज के ही अनेक वरिष्ठजन और आम जनमानस विनोद राय की सामाजिक छवि को टिकट का सच्चा हकदार बताती है। इन दिनो जबेरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के लोधी समाज के ही पूर्व विधायक प्रताप सिंह प्रबल दावेदार हैं, वहीं क्षेत्र में चर्चा है कि वर्तमान विधायक धर्मेंद्र सिंह का रिपोर्ट कार्ड कमजोर होने के कारण भाजपा हाईकमान उनके स्थान पर कोई नया चेहरा तलाश रही है। लेकिन पार्टी नेता भी क्षेत्रीय जातिवाद के सामने मजबूर दिख रहे है। हालांकि यदि भाजपा साहस दिखाकर जातिवाद से ऊपर उठकर नए चेहरे को अपना प्रत्याशी बनाती है तो आगामी चुनाव बेहद रोमांचक और दिलचस्प होगा। साथ ही भविष्य में अन्य दूसरी राजनीतिक पार्टिया भी जातिवाद के दलदल से बाहर निकलने का प्रयास करेंगी।अन्यथा यहां भाजपा भले ही धर्मेंद्र सिंह को टिकट न दे लेकिन विकल्प के तौर पर वह किसी दूसरे लोधी नेता अर्थात राघवेंद्र सिंह ऋषि भैया के अलावा बाहरी सामाजिक नेता को टिकट देकर उपकृत कर सकती है।

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