जिला के अधिवक्ताओं का कलम बंद प्रतिवाद, तीन दिन नहीं करेंगे पैरवी!
दमोह/माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों को लंबित प्रकरणों के निराकरण संबंधी दिशा निर्देश दिए गए हैं, जिनमें प्रकरणों को चिन्हित कर सूचीबद्ध किया है, इन दिशा-निर्देशों से पीड़ित होकर जिला अधिवक्ता संघ सहित पूरे प्रदेश के अधिवक्ता गुरुवार से तीन दिवसीय कलम बंद कर न्यायिक कार्य से विरत हो गए हैं! जिला दमोह के किसी भी न्यायालय में वकीलों द्वारा पैरवी नहीं की गई! 23 मार्च को सुबह 11:00 बजे जिला अधिवक्ता संघ दमोह के केंद्रीय कक्ष में सामान्य सभा आयोजित की गई, जिसमें अधिवक्ता एवं पक्षकारों को हो रही असुविधा के संबंध में चर्चा की गई! अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुरेश मेहता ने बताया कि लिस्टेड प्रकरणों के कारण अधिवक्ता समय अभाव के कारण उचित पैरवी नहीं कर कर पा रहे हैं जिससे मानसिक तनाव की स्थिति है।अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष मुकेश पाण्डेय ने बताया कि अधिवक्ता संघ द्वारा इस समस्या के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है, साथ ही राज्य अधिवक्ता परिषद ने भी माननीय उच्च न्यायालय से दिशा निर्देश वापस लेने हेतु निवेदन किया था लेकिन व्यवस्था में परिवर्तन ना होने के कारण गुरुवार से अधिवक्ताओं की तीन दिवसीय कलम बंद कार्य से विरत होने का आवाहन किया गया है, इस आंदोलन में प्रदेश के 92 हजार वकील शामिल हो रहे हैं, प्रदेश की किसी भी अदालत में अधिवक्ता पैरवी नहीं करेंगे! सचिव रमेश श्रीवास्तव का कहना है कि दिनांक 25 तारीख तक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया गया है अगर समस्या का समाधान नहीं होता तो 26 मार्च को राज्य अधिवक्ता परिषद की सामान्य सभा की बैठक है आगामी रणनीति का निर्णय उक्त दिनांक को लिया जाएगा!