दमोह। गुरुपूर्णिमा पर गायत्री शक्तिपीठ दमोह में सुबह पंचकुंडीय गायत्री महायज्ञ के पूर्व गुरु पूजन के पश्चात 23 नए दीक्षा संस्कार सम्पन्न हुए। शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रो योगेश शर्मा जी द्वारा अपने उद्बोधन में पंडित श्रीरामशर्मा के तपस्या पूर्ण जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि उन्होंने अपने से ज्यादा साहित्य सृजन किया एवं दुनिया भर के विषयों पर विज्ञान सम्मत प्रामाणिक पुस्तकें सरल भाषा मे बिना किसी रायल्टी के सबको सुलभ कराई। सुबह-सुबह गायत्री शक्तिपीठ के सभागार में काफ़ी बड़ी संख्या में पीतवस्त्रधारी महिला पुरुष एवं बच्चों का समूह यज्ञ में भागीदारी पुस्तकें सरल भाषा मे बिना किसी रायल्टी के सबको सुलभ कराई।
सुबह सुबह गायत्री शक्तिपीठ के सभागार में काफ़ी बड़ी संख्या में पीतवस्त्रधारी महिला पुरुष एवं बच्चों का समूह यज्ञ में भागीदारी करने एवं पर्व मनाने उपस्थित हो गया था। एवं गुरूपूर्णिमा पर्व मनाने उपस्थित हो गया था। देव संस्कृति विश्व विद्यालय हरिद्वार के संगीत विभाग के आचार्य श्री भाव सिंह जी तोमर एवँ श्री हुकुम सिंह जी ने प्रारम्भ गुरु वंदना एव मातृ वंदना से किया एव यज्ञीय कर्मकांड भी वैदिक विधि से सम्पन कराया।
शाम को प्रबुध्द वर्ग के प्रमुख लोगों के साथ विशाल संख्या में उपस्थित गायत्री परिजनों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु व्यक्ति नही शक्ति होता है। उसको हाड़मांस का व्यक्ति समझना भूल होगी। वह दिव्य चेतना का एक प्रवाह होता है जो ईश्वरीय चेतना को जन साधारण को अपनी शैली में समझा कर ईश्वर से जोड़ने का कार्य करता है।चाहे भगवान राम हो,भगवान कृष्ण हों, सभी को गुरु ने ही अपना मार्गदर्शन देकर महान, पूज्य एवँ कालातीत बनाया। छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास हों अथवा स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस हों उन्होंने शक्तिपात के द्वारा ही अपने शिष्यों की कीर्ति को अमर कर दिया।
विशाल दीपयज्ञ के साथ ही प्रबोधन का कार्य सम्पन्न हुआ। आभार प्रदर्शन व्यवस्थापक पंकज हर्ष श्रीवास्तव ने किया।इसके पश्चात भंडारे में सभी ने गुरु प्रसाद ग्रहण किया।