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दमोह पथरिया। पंजीयक सार्वजनिक न्यास एवं अनुविभागीय अधिकारी पथरिया द्वारा जैन समाज के एक सार्वजनिक न्यास के मामले में केवल 1 वर्ष से कम समय में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंदिर की परिसंपत्तियों को निजी बताकर अशोक फट्टा द्वारा प्रस्तुत न्यास बनाने के आवेदन को निरस्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि उक्त प्रकरण में पूरे समाज से लगभग 200 से अधिक महिला-पुरुषों ने आपत्तियां दर्ज कराई थी। जिसे पूरे 364 दिन की सुनवाई के बाद न्यायालय का फैसला आने से समाज में खुशी की लहर व्याप्त है। उक्त मामले में फैसला देते हुए अनुविभागीय अधिकारी ने न्यास के लिए प्रस्तुत आवेदन में बहुत सी कमियाँ पाते हुए कहा कि यह न्यास सार्वजनिक हित में नहीं है, साथ न्यास भी तर्कसंगत नहीं है। ऐसे न्यास के बनने से मंदिर निजी संपत्ति बन जायेगा। फैसले में आगे कहा गया है कि न्यास में सम्पूर्ण समाज की हिस्सेदारी से चुने हुए लोगों को मौका मिलना चाहिए तथा समय-समय पर नए लोगों को भी मौका मिलना चाहिये। ज्ञात हो कि श्री1008 महावीर दिगम्बर जैन मंदिर को झूठे तथ्यों एवं कागजों के सहारे अशोक पिता साबूलाल जैन फट्टा द्वारा समाज के 3-4 परिवारों को साथ लेकर निजी न्यास बनाने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन जैन समाज के कुछ जागरूक लोगों को जानकारी लगने पर उक्त प्रकरण में सारे समाज ने जागरूकता दिखाते हुये आपत्ति ली थी। बहरहाल उक्त फैसले से जैन समाज में खुशी का माहौल वयाप्त है।

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