दमोह आज गुरुपूर्णिमा पर गायत्री शक्तिपीठ दमोह में परिजनों ने प्रातः गुरुपूजन, व्यास पूजन के पश्चात बडी ही श्रद्धा पूर्वक पंच कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में अपनी आहुतियां समर्पित की।आचार्य पंडित वीरेंद्र गर्ग, श्री हरिनारायण दुबे एव जिला संयोजक श्री बी पी गर्ग ने यज्ञ मंच से यज्ञ का संचालन करते हुए सूक्ष्मजगत में व्याप्त महामारी, मनोरोग एवं अमंगल को दूर करने विशेष आहुतियां समर्पित करवाई।गायत्री हाल में बनी यज्ञशाला में बैठे सैकड़ो परिजनों ने यज्ञ देवता से अच्छी वर्षा के साथ पर्यजन्य वर्षा के लिये भी प्रार्थना की।गुरुपूर्णिमा के अवसर पर आज अनेक भाइयो ने आचार्य श्रीराम शर्मा जी की गुरुदीक्षा भी ली एवं उपस्थित पुराने परिजनों ने इस दीक्षा संस्कार को अपनी दीक्षा का नवीनीकरण माना।पंडित बी पी गर्ग ने अपने उदबोधन में बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे गुरु क्यो आवश्यक है, सद्गुरु से दीक्षा लेने के बाद ही व्यक्ति को द्विजत्व मिलता है, अर्थात जन्म से तो सभी शुद्र होते है किंतु दीक्षा से मनुष्य को द्विजत्व की प्राप्ति होती है जो उसकी आध्यात्मिक उन्नति के लिये आवश्यक होती है।पंडित वीरेंद्र गर्ग ने बताया कि जिस प्रकार पानी पीजिए छानकर,उसी प्रकार गुरु कीजिये जानकर।लोभी गुरु और लालची चेला, दोनो नरक में ठेलम ठेला। अर्थात जो व्यक्ति खुद ही लोभ ,मोह,लालच नही छोड़ सकता वह अपने चेले को कैसे मोक्ष दिला सकता है❓
करता करे ना कर सके, गुरु करे सब होय
सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोय
सात समुद्र की मसी करु, लेखनी सब बनराज
सब धरती कागज करु, पर गुरु गुण लिखा ना जाय
सभी उपस्थित परिजनों ने देव दक्षिण के रुप में अपनी अपनी एक एक बुराई छोड़ने का संकल्प यज्ञ भगवान की साक्षी में लिया। शाम को विशाल दीपयज्ञ के माध्यम से कोरोना महामारी से पीड़ित व्यक्तियों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिये एवं इस महामारी से जो असमय दिवंगत हो गए हैं उनकी आत्मा की शांति के लिये विशिष्ट आहुतियां प्रदान की गईं।