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दमोह। विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की गर्मी का पारा परवान चढ़े इसके पहले पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया को अपने पत्ते खोलने होंगे, क्योंकि पिछले हफ्ते भोपाल में मीडिया के सामने जयंत मलैया ने पार्टी हाईकमान को अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए एक हफ्ते में अपना विजन साफ करने की बात कही थी। अब समय लगभग पूरा होने को है, लेकिन अभी तक जयंत मलैया ने अपना रुख साफ नहीं किया है, जिसे लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के नेताओं में संशय की स्थिति बनी हुई है। राहुल सिंह नेेेे कांग्रेस से बीजेपी में आकर जयंत मलैया परिवार पर राजनीतिक अस्तित्व का संकट गहरा दिया है। दूसरी ओर इधर संभावना है कि हाईकमान के निर्देश पर जयंत मलैया को चुनाव जिताने का जिम्मा दिया गया तो उन्हें अपने घुर विरोधी राहुल सिंह लोधी का साथ मजबूरी में देना पड़ेगा। फिलहाल दमोह विधानसभा क्षेत्र का करीब 15,000 जैन वोटर भारी पशोपेश में है, क्योंकि अभी तक लगभग आंख मूंदकर जयंत मलैया को हर चुनाव में वोट करने वाली समाज अपने नेता केेे फैसले का इंतजार बेसब्री सेेे कर रही है। इस चुनावी मौसम केे दौरान राजनीतिक हलकों में जयंत मलैया को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। सभी वर्ग के लोग इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि जयंत मलैया और उनका परिवार इस उपचुनाव में अपनी क्या भूमिका निभाता है। चुनाव की घोषणा होने के शुरुआती दिनों में जयंत मलैया और उसके बाद उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया दमोह विधानसभा क्षेत्र में काफी सक्रिय रहे, उन्होंने लगातार जनसंपर्क किया और आशीर्वाद यात्रा निकालकर मतदाताओं की नब्ज भी टटोली, लेकिन अचानक यूू टर्न लेते हुए एक प्रेसवार्ता में अपना रुख पथरिया विधायक रामबाई की ओर करके चले गए। उधर, जयंत मलैया ने अपनी पीड़ा को भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहुंचाया, परंतु पार्टी हाईकमान एक ना सुनी और अंततः वादे के मुताबिक राहुल सिंह लोधी को विधानसभा में अपना प्रत्याशी घोषित किया। इतना सब होने के बाद भी जयंत मलैया ने अभी हार नहीं मानी है, आने वाले दो-तीन दिनों में जयंत मलैया इस चुनाव को लेकर अपना रुख साफ करेंगे। तभी दमोह विधानसभा की चुनावी तस्वीर साफ हो सकेगी। तब तक जयंत मलैया और उनके फैसले को लेकर मतदाता केवल कयास ही लगा सकते है।

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