दमोह। विधानसभा उपचुनाव की पूरी बिसात बिछ चुकी है। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां किसी भी वर्ग पर अपनी पकड़ कमजोर करना नहीं चाहती, क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी समाज के होने के कारण कांग्रेस भी एक बड़े वोट बैंक पर अपनी नजर गढा कर चल रही है। क्योंकि कांग्रेस जानती है कि अधिकांश ब्राह्मण वोट बीजेपी के पक्ष में जाता है इसलिए भाजपा मे गोपाल भार्गव के चुनाव प्रभारी बनते ही दूसरेे दिन कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता पंडित मनु मिश्रा को जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। करीब 28000 ब्राह्मण वोट वाली दमोह विधानसभा सीट पर हरिजन और लोधी समाज के बाद ब्राह्मण समाज का नंबर आता है, इसलिए ब्राह्मण वोट पर दोनों पार्टियों की नजरें टिकी हुई है। सभी जानते हैं कि हरिजन वोट पर अब कांग्रेस का पूरा कब्जा नहीं रहा, क्योंकि बसपा ने काफी हद तक हरिजनों पर लंबा हाथ मारा है। साथ ही लोधी वोट बैंक पर कॉन्ग्रेस ज्यादा भरोसा नहीं कर सकती, लिहाजा विधानसभा के एक बड़े वोट बैंक वाले ब्राह्मण समाज पर कांग्रेस की नजरें गढी हुई है इसलिए उन्होंने अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा के तत्काल बाद अजय टंडन को अध्यक्ष पद से हटाकर पंडित मनु मिश्रा को जिला अध्यक्ष का कार्यभार सौंप दिया, ताकि ब्राह्मण वोट पर सीधा निशाना साधा जा सके। वहीं भाजपा ने एक दिन पहले ही ब्राह्मण वोट पर कब्जा जमाने के लिए पड़ोसी विधानसभा के मंत्री गोपाल भार्गव को दमोह चुनाव का प्रभारी बना दिया, क्योंकि दमोह विधानसभा के कई क्षेत्रों में गोपाल भार्गव की ब्राह्मण समाज पर अच्छी पकड़ है। साथ ही उनके पुत्र दीपू भार्गव भी राहुल सिंह के साथ कार्यक्रम करके मतदाताओं को लुभाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। पंडित मनु मिश्रा के जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनने के बाद प्रत्याशी अजय टंडन को कितना नफा नुकसान होगा, यह परिणाम बताएंगे। लेकिन पिछले समय में अजय टंडन और मनु मिश्रा के बीच लगातार खटास के दौरान इस चुनाव में टिकट एक साथ मांगने के बाद अचानक दोनों नेताओं में क्या समझौता हो गया कि अजय टंडन प्रत्याशी बन गए और मनु मिश्रा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गए। अब यह चर्चा का विषय बन गया हैै कि दोनों की यह जुगल जोड़ी दमोह चुनाव के परिणाम प्रभावित कर सकती है और राहुल सिंह के लिए मुसीबतें भी ला सकती है।