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दमोह। पिछले वर्ष हुए उपचुनाव में 17000 की करारी हार के बाद नगर पालिका चुनाव के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रही भारतीय जनता पार्टी को सिद्धार्थ मलैया ने इस्तीफा देकर एक बार फिर से बैकफुट पर ला दिया है। सिद्धार्थ मलैया के इस्तीफा देने और नगर पालिका चुनाव में अपने समर्थकों को चुनाव लड़ाने के निर्णय से कांग्रेसी नेता-पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बांछें खिल उठी हैं। सिद्धार्थ मलैया के इस प्रकार भाजपा से रूठने और उनके बगावती तेवर देखकर कांग्रेसी मन ही मन फूले नहीं समा रहे। वह समझ रहे हैं कि उन्हें वॉकओवर मिल गया है और आने वाली नगर पालिका में उन्हें पार्षदों के बहुमत समेत अधक्ष पद भी आसानी से मिल जाएगा। पिछले साल तक जहां कांग्रेस दमोह में अपना दबदबा बनाने के लिए छटपटा रही थी, वही राहुल सिंह के अचानक बीजेपी में आने के बाद मलैया समर्थकों ने भाजपा को औंधे मुंह ला दिया और अब उपचुनाव की तरह नगर पालिका चुनाव में भी कमोबेश यही माहौल नजर आ रहा है। जिस तरह 2021 के उपचुनाव में मलैया समर्थकों से उपकृत हुए अजय टंडन दमोह के विधायक बन गए, इसी प्रकार अब नगर पालिका अध्यक्ष का सेहरा किसके सिर बंधेगा बनेगा यह भी मलैया समर्थक ही तय करेंगे।

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