दमोह। (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर नारायण सिंह की कलम से) जागेश्वरनाथ धाम बांदकपुर तथा अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर हमारे जिले में देश के दो अति प्रसिद्ध धर्म तीर्थ हैं। सैकड़ों साल पुराने इन दोनों धर्मस्थलों की गणना संपूर्ण देश सहित विदेशों तक में होती है तथा इन दोनों ही धर्म तीर्थ क्षेत्रों में भक्तों की अगाध आस्था एवं श्रद्धा भक्ति के दर्षन होते हैं। बांदकपुर में जहां जागेश्वरनाथ धाम में स्वयंभू प्रकट भगवान शिव अर्थात भोलेनाथ और मां पार्वती के अति प्राचीन मंदिर हैं, वहीं अतिषय क्षेत्र कुंडलपुर में बड़े बाबा विराजमान हैं। जागेश्वरनाथ बांदकपुर में प्रतिवर्ष मकर संक्रांति, बसंत पंचमी तथा महाषिवरात्रि पर विषाल मेलों में हजारों लाखों भक्त-दर्षनार्थी जुड़ते हैं। इसके अतिरिक्त एकादशी, अमावस-पूर्णिमा तथा विशेष पर्वों के अलावा प्रतिदिन सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु आते रहते हैं। इसी प्रकार कुंडलपुर में देष-विदेष से सैकड़ों-हजारों भक्तों का मेला लगा रहता है।
पिछले कुछ समय से बांदकपुर तथा कुंडलपुर धर्मक्षेत्र आंदोलित-अशांत दिख रहे हैं। दोनों स्थानों पर आंदोलन का एक ही कारण है अतिक्रमण की समस्या। जैसे देश-विदेश में बसे, सकल जैन समाज के लाखों-करोड़ों लोगों के सुगम आवागमन के लिये विस्तृत भू-भाग होते हुए भी, चौड़ी सड़कों के लिए और भूमि की आवश्यकता है, उसी प्रकार असंख्य हिन्दू धर्मावलंबियों की आगाध आस्था के केन्द्र जागेश्वरनाथ धाम बांदकपुर में तो और भी अधिक संकीर्णता है। यहां, मंदिर परिसर के मुख्य द्वार के सामने ही भू-लालची लोगों ने अपने मकान एवं दुकानें तान दी हैं। अतिक्रमण से अधिक कठिन है, अतिक्रमण की सही-सही परिभाषा। मुद्दत पहले दमोह में भूमि बंदोबस्त अधिकारी (और बाद में कलेक्टर) रहे के. शंकर नारायणन ने एक बार इस लेखक को तीनगुल्ली चौराहे पर ले जाकर कहा था, यहां तीनगुल्ली चौराहा से मोहन टाकीज के गेट पर लगे चालू फिल्म का साइन बोर्ड दिखना चाहिये। बाकी सब अतिक्रमण है। अर्थात भूमि की लालसा भी इंसान की सैकड़ों साल पुरानी आदत है और अब इसने विकराल रोग का रूपधारण कर लिया है और नव अमीरों में तो इस रोग के असाध्य लक्षण दिखते हैं।
इन दिनों दमोह का जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाओ की मुहिम चला रहा है। पिछले हफ्ते एक साहित्यिक कार्यक्रम में अध्यक्ष बनी तहसीलदार डॉ. बबीता राठौर के परिचय के दौरान एक श्रोता ने जब उन्हें मैडम क्रेन कहकर चिल्ला दिया, तब सभा में हास्य का ठहाका गूंज गया। एक बात और। भू माफिया के लालच और गरीब आदमी की मूलभूत जरूरत के बीच के अंतर को समझा जाना चाहिए। एक किस्सा याद आता है। एक बार किसी राजा ने किसी भू (लालची) से कहा सुबह से शाम तक वह जितनी भूमि पर दौड़ लेगा, वह उसकी हो जाएगी, भू लालची माफिया का यह पहला पुरखा इतना दौड़ा, इतना दौड़ा कि शाम से पहले ही गिरकर परलोक सिधार गया।
एक बार अटल जी (स्व.श्री अटल बिहारी वाजपेयी) लोकसभा में अपने भाशण के दौरान एक मार्मिक प्रश्न किया था, आखिर आदमी को कितनी जमीन और कितना पैसा चाहिये? याद आते हैं, बहादुर षाह जफर दो गज जमीं भी न मिली। एक गरीब आदमी को अपने परिसर के सिर पर साया बनाने के लिये, इस बीच गज जमीन ही चाहिये या फिर अपने बच्चों का पेट भरने के लिये, छोटी-मोटी दुकान चलाने के लिये दो-पांच गज की जगह। जबकि करोड़पति भूमाफिया को अरबपति और अरबपति को और बड़ा बनने के लिये। पता नहीं अटल जी का प्रश्न कब तक अनुत्तरित रहेगा।
बांदकपुर में आगामी माह जनवरी से मार्च तक हर वर्ष की तरह मकर संक्रांति, बसंत पंचमी और शिवरात्रि के वार्शिक मेले शुरू हो रहे और फरवरी में कुंडलपुर में महामहोत्सव का भव्य एवं विशाल आयोजन होना है। इसके लिये सकल जैन समाज में छोटे बाबा के नाम से संबोधित विश्व के घोर तपस्वी आचार्यश्री विद्यासागर महाराज कुंडलपुर पधार चुके हैं, जिन्हें जैन समाज से इतर धर्म समाज भी दिव्य धर्मगुरू मानते हैं। निहायत गरीब और नव अमीर भूमाफिया, दोनों कुंडलपुर और बांदकपुर में बसते हैं। इनकी पहचान और परिभाषा कठिन जरूर पर असंभव नहीं है। कुंडलपुर और बांदकपुर में अतिक्रमण की समस्याएं नई नहीं हैं। पर, बदलते समय और आने वाले समय को देखते हुए इनका समाधान करना अति आवश्यक है। दोनों धर्मक्षेत्रों की प्रबंध कारिणी समितियां भी इन समस्याओं के लिये कम उत्तरदायी नहीं हैं। जहां कुंडलपुर में श्री हनुमान मंदिर और रूकमणि मठ को लेकर कुंडलपुर कमेटी विवादों में रही है, वहीं बांदकपुर में तो प्रबंधकारिणी पर ही भूमाफिया से मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं।
वोटों के लिये ही सही आजकल की सरकारें, धर्म ,स्थलों के विकास के लिये अकूत धन दे रही हैं। दमोह में देश के इन बड़े स्थलों को भी इसका लाभ मिलना चाहिये। कुंडलपुर में सकल जैन ने अकूत दान धन देकर इसे बहुत विकसित किया है। वहीं, बांदकपुर में स्थिति थोड़ी भिन्न है। देश-दुनिया में प्रसिद्धि के बावजूद बांदकपुर अपेक्षाकृत कम विकसित और पिछड़ा दिखता है। इसीलिए यहां के निवासियों ने, विशेषकर युवा वर्ग ने यहां की दशा सुधारने आंदोलन शुरू कर रखा है, जो दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
ऐसे में दमोह का जिला प्रषासन हाथ पर हाथ रखकर बैठा नहीं रह सकता। समय रहते प्रशासन को इसमें हस्तक्षेप कर, समस्या का समाधान करने की जरूरत है। ज्ञापन लेने की खानापूर्ति से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। प्रषासन को सभी पक्षों के साथ बैठकर, सभी को सुनकर और समझकर, समझदारी का परिचय देना होगा। यदि आवश्यक लगे तो इसके लिए बांदकपुर और कुंडलपुर में कैम्प भी किये जा सकते हैं।